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Showing posts from March, 2017

चींटी और कबूतर

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एक चींटी थी।  वह बहुत मेहनती थी।  एक दिन वो नदी के पास पानी पीने गयी और गलती से पानी में फिसल गयी और पांइट की धारा में बहने लगी। एक कबूतर  उसे देख रहा था। उसको चींटी के ऊपर दया आ गयी। उसने एक पत्ता तोड़ा और चींटी के पास फेंक  दिया। चींटी उस पत्ते पर चढ़ गयी।  कुछ देर के बाद पत्ता नदी के किनारे आ लगा। चींटी ने कबूतर को धन्यवाद दिया।  उसके बाद चींटी और कबूतर अच्छे दोस्त  बन गए। एक दिन जंगल में एक शिकारी आया।  उसके पास धनुष और बाण थे।  वह उनसे चिड़ियों का शिकार करता था। उस शिकारी ने कबूतर को देखा और अपना धनुष बाण कबूत को मारने के लिए साधने लगा। चींटी ने उसे देख लिया पर कबूतर इस बात से बेखबर था। चींटी अब परेशांन हो गयी।  वो सोचने लगी कि कबूतर की जान कैसे बचाई जाये। इतने में उसे एक उपाय सूझा। वो जल्दी से शिकारी के पास पहुँची। शिकारी उसे उसके आकार के कारण नहीं देख पाया।  चींटी ने शिकारी के पाव में जोर से काटा।  शिकारी का निशाना चूक गया। उसका बाण सर सराता कबूतर के पास से निकल गया।  कबूतर सावधान हो गया और तुरंत वह से उड़ गया। ...

हमारा दिल मिला रहे

न कोई शिकवा आपसे न कोई गिला रहे , आरजू है बस इतनी कि एक सिलसिला रहे, दोस्ती की जो सौगात जो अपने दी है वो नही है कम , फिर भी दिल की है तमन्ना अब न कोई फासला रहे, दूरिया हो कितनी हमारे दरमिया नही कोई ग़म , बस आपसे मिलने की दिल में हौसला रहे, मुश्किलें जिंदगी की मिलजुल कर सह लेगे हम, फक्त जरूरत है कि हमारा दिल मिला रहे।

जबसे मुझे तुमसे प्यार हुआ है

डूबा रहता हूँ सदा तेरे ख्यालो मे , जबसे मुझे तुमसे प्यार हुआ है, आँखे है तेरी एक झलक को प्यासी , जबसे मुझको तेरा इंतजार हुआ है, नीद गायब है उस दिन से मेरी आँखों से, जिस दिन से मुझे तेरा दीदार हुआ है, खुदा की बन्दगी छोड़ बैठा हूँ , जबसे तुझपे एतबार हुआ है, सुनना चाहता हूँ बस तेरी ही बातें, जबसे मुझे इकरार हुआ है, कुछ खो दिया है मैंने शायद , जबसे ये दिल तुझपे निसार हुआ है , तुम हो मेरे और सिर्फ़ मेरे , इस बात का दिल को यकीं बार बार हुआ है. -----------------ललित कुमार पटेल १७/१२/०८ 

बड़ा ही महत्व हैं

पाजामे ने नाड़े का। मौसम में जाड़े का। मकान में भाड़े का। बड़ा ही महत्व हैं।। घर में लुगाई का। सर्दी में रजाई का। पेशे में नाइ  का। बड़ा ही महत्व हैं।। दोपहर में काफ़ी का। दरवाजे में चाभी का। बच्चो में टॉफी का। बड़ा ही महत्व हैं।।

रंगा शियार

एक शियार जंगल के जीवन से ऊब कर शहर के ओर  रुख करता हैं।  शहर पहुँचने  पर वो अचंभित रह गया।  ऊँची ऊँची इमारते , पक्की सड़के  और पेड़ो का नामोनिशान नहीं। शहर लोगो से भरा पड़ा था। दिन में तो वो शियार एक फ्लाईओवर के नीचे छुपा रहा। रात में जब वो निकला  तो कुत्ते उसके पीछे पड़ गए। कुत्तो से भागता , बचता बचाता वह एक घर में गुस गया।  वो घर एक रंगरेज का था। रंगरेज ने कपड़े  रंगने के लिए नीला रंग बना के रखा था और वो शियार उसमे गिर गया।  शियार जब बाहर  निकला तो नीले रंग का हो गया था।  शियार ने शहर से तौबा किया और फिर से जंगल में भाग गया। जंगल में पहुँचते पहुँचते उसका रंग सुख कर एकदम पक्का हो गया।  अब शियार का रंग पूरा नीला था।  जंगल में ऐसे प्राणी को किसी ने पहले कभी नहीं देखा था। सब लोग उससे डरने लगे। शियार ने इस मौके का फायदा उठाने के सोची। उसने सब जानवरो से कहा कि उसे स्वयं भगवान् ने बाकी सब जानवरो पर राज करने के लिए भेजा  हैं और सारे जानवरो को उसकी सेवा करनी चाहिये।  सारे जानवर उसकी बातों  में आ गये और शियार को अपना र...

बिहारी लाल और गागर में सागर

बिहारी लाल हिंदी साहित्य के जाने माने कवि थे। उनके बारे में कहा जाता था कि  वो अपनी दोहो  के माध्यम से गागर में सागर भरने में कुशल थे। यहाँ गागर में सागर से तात्पर्य है कि  वो एक ही दोहे में पूरी कहानी कहने में समर्थ थे। उनके दोहो का संकलन "बिहारी सतसई" के नाम से विख्यात है। जिसके बारे में कहा जाता है।  सतसैया के दोहे , ज्यो नाविक के तीर।  देखन में छोटे लगे,घाव करे गंभीर।।  "बिहारी सतसई" एक दोहा मैं यहाँ उदाहरण के रूप दे रहा हूँ। "कहत नटत रीझत खीजत मिलत खिलत लजियात।   भरे भवन  में करत है  नैनन ही से बात। । यहाँ नायक और नायिका किसी उत्सव में मिलते हैं। पूरा भवन लोगो से भरा हैं किन्तु नायक और नायिका आँखों  ही आँखों  से बात कर लेते है।  नायिका पहले नायक की बात मान लेती फिर मना  कर देती हैं।  फिर वो रीझती और गुस्सा करती हैं। अंत में दोनों की आँखे मिलती और नायिका का खिल उठती और शर्मा जाती है।  इस तरह वो दोनों लोगो से भरे भवन में भी केवल आँखों  के द्वारा बात करने में सक्षम हैं। एक और दो...

स्वतंत्रा सभी को प्रिय हैं

एक गाँव का कुत्ता रामू और एक शहर का कुत्ता रिकी एक रात को सुनसान सड़क के किनारे मिलते हैं। रामू दुबला पतला था। रिकी मोटा ताजा था। रामू  :  दोस्त तुम कैसे हो रिकी :  मैं तो बड़े मजे हूँ  रामू  :  दोस्त तुम तो  बड़े हट्टे कट्टे  लग रहे रिकी :  हां।  मेरा मालिक मेरा बड़ा ख्याल रखता  है और मुझे खाने पीने की कोई कमी नहीं है। रामू  : दोस्त मेरी तो हालत  बहुत खराब हैं। गाँव  में खाने पीने को कोई नहीं देता और ऊपर से लोग मारते भी है। रिकी : तुम  मेरे साथ क्यों  चलते ? रामू : मित्र तुम्हारा बहुत बहुत थन्यवाद।  मैं तुम्हारे साथ अवश्य  आऊँगा। चलते चलते रामू ने रिकी के गर्दन पे कुछ निशान  देखा।  उसने रिकी से इसके बारे में पूछा। रिकी ने कहा मेरा मालिक मुझे दिन में रस्सी से बाँथ कर रखता  हैं।  ये उन्ही रस्सियों के निशान  हैं। रामू सहम गया।  उसके पैर  रुक गए। उसने रिकी से  मित्र मुझे माफ़ करना।  मैं तुम्हारे साथ नहीं चल सकता। खाना और पानी तो ठीक है पर मुझे मेरी आ...

होली रे

रंग रंगीली मनभावन आई फिर से होली रे , लाल हुआ फिर अम्बर गुलाल से , आसमान ने मानो आज हो रंग की पोटली खोली रे , आओ पिंकी , पप्पू , बबलू आओ , आओ खेले रंग मिलकर सारे हमजोली रे , झूम रहे है लोग सभी खाके के भंग के गोली रे ,

हो ना हो ये तुम हो

बेचैन है दिल कैसी ये बेकरारी है , हो ना हो ये आग तुमने ही लगाई है, मिलने का कुछ तो करो जतन, अब नही बर्दास्त ये लम्बी जुदाई है, क्यो घिर आई है घटा आज नभ में , कही तुमने अपनी जुल्फे तो नही लहराई है , कैसी मादक खुशबू है हवाओ में , जरूर ये तुमको ही छुकर आई है, कोयले क्यो है इतना मीठा बोलती, बोलना इनको तुने ही सिखाई है, मोर है क्यो इतना इतरा के चलता क्या है तुम्हे पता , थोडी सी खूबसूरती उसने तुमसे ही चुराई है, क्यों हर कली है आज मेहरबा मुझपे , मेरे बारे में सोच कर कही तुमने पलके तो नही झुकाई है, चाँद क्यो है आज मायूस सा खड़ा, जरूर तुमने अपने मुखड़े की झलक उसको दिखाई है, क्यो फिजा है आज पागल सी , जरूर उसने तुमसे ही नजरे मिलाई है, तुम्हे पाकर ऐसा लगता है मुझको, दोनों जहाँ की खुशिया मैंने बड़े सस्ते में पाई है, मैंने खुदा से आज साफ कह दिया, जन्नत के बदले भी मंजूर नही तुझसे बेवफाई है. सबसे अच्छी है मेरी Sushi, ये बात मैंने सबको डंके की चोट पे बताई है, मेरी जिंदगी में न जाने कब से था पतझड़, तुम्हारे आने से मानो बहारे फिर से लौट आई...

चाहत

ना जाने तुमसे मेरी कैसी चाहत है, कि तुम्हारे ख्यालो से भी दिल को एक राहत है, तुम दूर हो बहुत ये मुझे है पता, पर बेखबर दिल को तुम्हारे पास होने की आहट है, भरी दुपहरी में भी होता है ठंडक का एहसास, बेसक ये तुम्हारे मोहब्बत की ही इनायत है, तुम दूर होके भी हो दिल के इतने पास, शायद इसीलिए दिल को तुमसे नही कोई शिकायत है। .............................................ललित कुमार पटेल १२/०३/०९

दोस्तों से

क्या हुआ जो शादी हुई दिल से अभी भी कुवारा हूँ मै, तुम्हारा वही हँसता खेलता ललित दुलारा हूँ मै, क्या हुआ जो नए रिश्ते बने, पर दिल से अभी भी तुम्हारे प्यार का मारा हूँ मै, मिलना बिछुड़ना तो लगा ही रहता है, पर किसी की जिंदगी का अब सहारा हूँ मै, उन लम्हों की याद अभी भी है ताजा , जिन लम्हों को तुम्हारे साथ दोस्तों गुजारा हूँ मै, मत समझो ये दोस्ती यही खत्म हुई , दिल से ,ऐ मेरे दोस्तों अभी भी तुम्हारा हूँ मै। -------------ललित कुमार पटेल ३०/६/०८

साथ

ललित  कहता है तुम रात में लिखो , अपने समय की हर बात पे लिखो , भीग जाए तन मन जिसकी बारिस में , ऐसी हर खुशी की बरसात पे लिखो, तोड़ दे जो पुरानी रूढ़ियो को , हर उस ज़हीन पाक हाथ पे लिखो, करीब लाये जो लोगो के दिलो को, हर उस मुकम्मल साथ पे लिखो , रह गई जो दबकर भीड़ में, ऐसी हर अनसुनी फरियाद पे लिखो. ----------------ललित कुमार पटेल ०७/०७/2008

मजाक करना मजाक नही

मजाक करना आसान नही होता, होठो पे हँसी है तो क्या हुआ , दिल अपने दर्द से अनजान नही होता, मिल गए होते गर तुम पहले, दिल दर्द से यू बेजान नही होता, इन्शानियत न बचती इस जहाँ में कहीं पर , गर इंसान पल भर का यहाँ मेहमान नही होता, दूसरो को मुस्कराते देख खुशी होती है इस दिल को, वरना किसी के मुस्कराने से किसी पे एहसान नही होता, बाँटता गर हर कोई अपनी थोडी सी खुशी, दुनिया में फिर कोई दर्द से परेशान नही होता। -------------------ललित कुमार पटेल १७/०७/08

कामना

आपके जीवन का हर पल कुछ ख़ास रहे, आपके होठो पे सदा एक मधुर हास रहे, आपके जीवन में सदा हर्सोल्लास रहे, खुशिया आपके जीवन में बेहिसाब रहे, आपकी यादें सदा हमारे आस पास रहे, आपको भी सदैव हमारे होने का एहसास रहे, आपसे दुबारा मिलने की दिल में आस रहे। -----ललित कुमार पटेल २५-०८-०८ 

सबका अपना महत्व है

एक घने जंगल में बहुत सारे पेड़ थे। लगभग सारे पेड़ हरे भरे सूंदर और सीधे ताने वाले थे। उनमे से एक पेड़ का तना  टेडा था।  बाकी सारे पेड़ उसे बहुत चिढाते थे। उसकी बदसूरती का मजाक उड़ाते थे। वह पेड़ बहुत दुखी रहता था और हमेशा भगवान् को कोसा  करता था। एक दिन बड़े जोर की आधी आयी और बहुत सारे पेड़ो के ताने टूट गए। बहुत सारे पेड़ो के डाले  टूट गयी। पर जो टेढ़ा  पेड़ उसका कुछ भी नहीं टूटा। ऐसा इसलिए हुआ कि  टेड़े पेड़ में डाले और पत्ते काम थे। अब उसे अपना महत्व समझ में आया।  इसलिए दोस्तों कभी भी अपने आपको छोटा मत समझो।

भगवान जो करता है सही करता है

एक दिन एक विद्वान् आदमी कही जा रहा था।  उसे रास्ते में एक कद्दू का खेत दिखा।  खेत में कद्दू के बड़े बड़े  फल थे। कद्दू के छोटे से पेड़ में बड़े बड़े फल देख कर वो आदमी हैरान रह गया। उसने सोचा इतने छोटे से पेड़ में इतने बड़े फल कैसे हो सकते हैं।  भगवान् से जरूर कोई गलती हो गयी है। वह मन ही मन भगवान् के ऊपर हँसते हुए वह आगे बढ़ गया।  थोडी दूर जाने के बाद उसे एक आम का पेड़ मिला।  पेड़ में छोटे छोटे आम के सुन्दर फल लगे हुए थे।  यह देखकर उस आदमी को और अचम्भा हुआ।  उसने सोचा इतने बड़े पेड़ में इतने छोटे छोटे फल कैसे संभव है।  भगवान् से निश्चय  ही बड़ी भारी गलती हुई है।  वह ऐसा विचार कर ही रहा था कि एक हवा का झोका  आया और एक आम उस व्यक्ति के नाक पर गिरा।  उसकी नाक से रक्त निकलने लगा।  वो दर्द के मारे बिलबिला उठा। तभी उसे एहसास हुआ  कि  अगर इस पेड़ में कद्दू के आकार के फल होते तो क्या होता।  मेरी तो जान ही चली जाती।  उसे भगवान् के ऊपर संदेह करने के लिए पछतावा होने लगा।