साथ


ललित  कहता है तुम रात में लिखो ,
अपने समय की हर बात पे लिखो ,
भीग जाए तन मन जिसकी बारिस में ,
ऐसी हर खुशी की बरसात पे लिखो,
तोड़ दे जो पुरानी रूढ़ियो को ,
हर उस ज़हीन पाक हाथ पे लिखो,
करीब लाये जो लोगो के दिलो को,
हर उस मुकम्मल साथ पे लिखो ,
रह गई जो दबकर भीड़ में,
ऐसी हर अनसुनी फरियाद पे लिखो.



----------------ललित कुमार पटेल ०७/०७/2008

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