एक चिड़िया ने एक गेहूं के खेत में अपना घोसला बनाया था। उसमे उसके दो छोटे बच्चे थे। बच्चे अभी बहुत छोटे थे इसलिए उड़ नहीं सकते थे। गेहूं लगभग पकने वाले थे। चिड़िया अपने बच्चो को छोड़ कर दान चुगने जाती थी। एक दिन जब चिड़िया डेन लाने गयी थी उसी समय किसान और उसका बेटा खेत पर आये। वे लोग आपस में बाते करने लगे कि फसल पकने को हैं चलो हम लोग मजदूरो से कह के फसल को कटवाते हैं। चिड़िया के बच्चो ने भी ये बातें सुनी और सुन के वो लोग बहुत डर गए। अगर फसल काट गयी तो वो लोग कहा रहेगे। यह बात सोच के बच्चे बहुत परेशान हो गए। शाम को जब चिड़िया वापस लौटी तो बच्चे डरे सहमे उसे ये बाते बताने लगे कि किसान आया था और खेत को मजदूरो से कटवाने की बाते कर रहा था। चिड़िया ने उनकी बात ध्यान से सुनी और फिर बोली तुम लोग परेशान ना हो कोई फसल काटने नहीं आएगा। इस बीच गेहूं पुरे पक गए। कुछ दिनों बाद किसान और उसका बेटा फिर खेत पर आये। वो लोग मजदूर न मिलने के कारण बहुत चिंतित थे। किसान ने कहा गेहूं तो पक गए। चलो हम लोग पड़ोशियो के मदद से फसल को कल काटते ...
बिहारी लाल हिंदी साहित्य के जाने माने कवि थे। उनके बारे में कहा जाता था कि वो अपनी दोहो के माध्यम से गागर में सागर भरने में कुशल थे। यहाँ गागर में सागर से तात्पर्य है कि वो एक ही दोहे में पूरी कहानी कहने में समर्थ थे। उनके दोहो का संकलन "बिहारी सतसई" के नाम से विख्यात है। जिसके बारे में कहा जाता है। सतसैया के दोहे , ज्यो नाविक के तीर। देखन में छोटे लगे,घाव करे गंभीर।। "बिहारी सतसई" एक दोहा मैं यहाँ उदाहरण के रूप दे रहा हूँ। "कहत नटत रीझत खीजत मिलत खिलत लजियात। भरे भवन में करत है नैनन ही से बात। । यहाँ नायक और नायिका किसी उत्सव में मिलते हैं। पूरा भवन लोगो से भरा हैं किन्तु नायक और नायिका आँखों ही आँखों से बात कर लेते है। नायिका पहले नायक की बात मान लेती फिर मना कर देती हैं। फिर वो रीझती और गुस्सा करती हैं। अंत में दोनों की आँखे मिलती और नायिका का खिल उठती और शर्मा जाती है। इस तरह वो दोनों लोगो से भरे भवन में भी केवल आँखों के द्वारा बात करने में सक्षम हैं। एक और दो...
एक चींटी थी। वह बहुत मेहनती थी। एक दिन वो नदी के पास पानी पीने गयी और गलती से पानी में फिसल गयी और पांइट की धारा में बहने लगी। एक कबूतर उसे देख रहा था। उसको चींटी के ऊपर दया आ गयी। उसने एक पत्ता तोड़ा और चींटी के पास फेंक दिया। चींटी उस पत्ते पर चढ़ गयी। कुछ देर के बाद पत्ता नदी के किनारे आ लगा। चींटी ने कबूतर को धन्यवाद दिया। उसके बाद चींटी और कबूतर अच्छे दोस्त बन गए। एक दिन जंगल में एक शिकारी आया। उसके पास धनुष और बाण थे। वह उनसे चिड़ियों का शिकार करता था। उस शिकारी ने कबूतर को देखा और अपना धनुष बाण कबूत को मारने के लिए साधने लगा। चींटी ने उसे देख लिया पर कबूतर इस बात से बेखबर था। चींटी अब परेशांन हो गयी। वो सोचने लगी कि कबूतर की जान कैसे बचाई जाये। इतने में उसे एक उपाय सूझा। वो जल्दी से शिकारी के पास पहुँची। शिकारी उसे उसके आकार के कारण नहीं देख पाया। चींटी ने शिकारी के पाव में जोर से काटा। शिकारी का निशाना चूक गया। उसका बाण सर सराता कबूतर के पास से निकल गया। कबूतर सावधान हो गया और तुरंत वह से उड़ गया। ...
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