रंगा शियार
एक शियार जंगल के जीवन से ऊब कर शहर के ओर रुख करता हैं। शहर पहुँचने पर वो अचंभित रह गया। ऊँची ऊँची इमारते , पक्की सड़के और पेड़ो का नामोनिशान नहीं। शहर लोगो से भरा पड़ा था। दिन में तो वो शियार एक फ्लाईओवर के नीचे छुपा रहा। रात में जब वो निकला तो कुत्ते उसके पीछे पड़ गए। कुत्तो से भागता , बचता बचाता वह एक घर में गुस गया। वो घर एक रंगरेज का था। रंगरेज ने कपड़े रंगने के लिए नीला रंग बना के रखा था और वो शियार उसमे गिर गया। शियार जब बाहर निकला तो नीले रंग का हो गया था। शियार ने शहर से तौबा किया और फिर से जंगल में भाग गया। जंगल में पहुँचते पहुँचते उसका रंग सुख कर एकदम पक्का हो गया। अब शियार का रंग पूरा नीला था। जंगल में ऐसे प्राणी को किसी ने पहले कभी नहीं देखा था। सब लोग उससे डरने लगे। शियार ने इस मौके का फायदा उठाने के सोची। उसने सब जानवरो से कहा कि उसे स्वयं भगवान् ने बाकी सब जानवरो पर राज करने के लिए भेजा हैं और सारे जानवरो को उसकी सेवा करनी चाहिये। सारे जानवर उसकी बातों में आ गये और शियार को अपना राजा मान लिया। शियार के तो अब बहुत मजे थे। जानवरो द्वारा लाये गए खानों से दावत उड़ाता। काफी समय इस तरह बीत गया और फिर वर्षा ऋतु आई और जोर के बारिस होने लगी। शियार भी इस बारिस में भीग गया और उसका रंग उतरने लगा। जंगल के जानवरो ने जब ये देखा तो उनके मन में संदेह होने लगा और उन्होंने शियार से कड़ी पूछ ताछ की तो पता चला कि वो एक शियार है। शियार को जानवरो ने मार मार का भगा दिया।
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