स्वतंत्रा सभी को प्रिय हैं
एक गाँव का कुत्ता रामू और एक शहर का कुत्ता रिकी एक रात को सुनसान सड़क के किनारे मिलते हैं। रामू दुबला पतला था। रिकी मोटा ताजा था।
रामू : दोस्त तुम कैसे हो
रिकी : मैं तो बड़े मजे हूँ
रामू : दोस्त तुम तो बड़े हट्टे कट्टे लग रहे
रिकी : हां। मेरा मालिक मेरा बड़ा ख्याल रखता है और मुझे खाने पीने की कोई कमी नहीं है।
रामू : दोस्त मेरी तो हालत बहुत खराब हैं। गाँव में खाने पीने को कोई नहीं देता और ऊपर से लोग मारते भी है।
रिकी : तुम मेरे साथ क्यों चलते ?
रामू : मित्र तुम्हारा बहुत बहुत थन्यवाद। मैं तुम्हारे साथ अवश्य आऊँगा।
चलते चलते रामू ने रिकी के गर्दन पे कुछ निशान देखा। उसने रिकी से इसके बारे में पूछा। रिकी ने कहा मेरा मालिक मुझे दिन में रस्सी से बाँथ कर रखता हैं। ये उन्ही रस्सियों के निशान हैं। रामू सहम गया। उसके पैर रुक गए। उसने रिकी से मित्र मुझे माफ़ करना। मैं तुम्हारे साथ नहीं चल सकता। खाना और पानी तो ठीक है पर मुझे मेरी आज़ादी सबसे अधिक प्रिय हैं।
रामू : दोस्त तुम कैसे हो
रिकी : मैं तो बड़े मजे हूँ
रामू : दोस्त तुम तो बड़े हट्टे कट्टे लग रहे
रिकी : हां। मेरा मालिक मेरा बड़ा ख्याल रखता है और मुझे खाने पीने की कोई कमी नहीं है।
रामू : दोस्त मेरी तो हालत बहुत खराब हैं। गाँव में खाने पीने को कोई नहीं देता और ऊपर से लोग मारते भी है।
रिकी : तुम मेरे साथ क्यों चलते ?
रामू : मित्र तुम्हारा बहुत बहुत थन्यवाद। मैं तुम्हारे साथ अवश्य आऊँगा।
चलते चलते रामू ने रिकी के गर्दन पे कुछ निशान देखा। उसने रिकी से इसके बारे में पूछा। रिकी ने कहा मेरा मालिक मुझे दिन में रस्सी से बाँथ कर रखता हैं। ये उन्ही रस्सियों के निशान हैं। रामू सहम गया। उसके पैर रुक गए। उसने रिकी से मित्र मुझे माफ़ करना। मैं तुम्हारे साथ नहीं चल सकता। खाना और पानी तो ठीक है पर मुझे मेरी आज़ादी सबसे अधिक प्रिय हैं।
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