बेचैन है दिल कैसी ये बेकरारी है , हो ना हो ये आग तुमने ही लगाई है, मिलने का कुछ तो करो जतन, अब नही बर्दास्त ये लम्बी जुदाई है, क्यो घिर आई है घटा आज नभ में , कही तुमने अपनी जुल्फे तो नही लहराई है , कैसी मादक खुशबू है हवाओ में , जरूर ये तुमको ही छुकर आई है, कोयले क्यो है इतना मीठा बोलती, बोलना इनको तुने ही सिखाई है, मोर है क्यो इतना इतरा के चलता क्या है तुम्हे पता , थोडी सी खूबसूरती उसने तुमसे ही चुराई है, क्यों हर कली है आज मेहरबा मुझपे , मेरे बारे में सोच कर कही तुमने पलके तो नही झुकाई है, चाँद क्यो है आज मायूस सा खड़ा, जरूर तुमने अपने मुखड़े की झलक उसको दिखाई है, क्यो फिजा है आज पागल सी , जरूर उसने तुमसे ही नजरे मिलाई है, तुम्हे पाकर ऐसा लगता है मुझको, दोनों जहाँ की खुशिया मैंने बड़े सस्ते में पाई है, मैंने खुदा से आज साफ कह दिया, जन्नत के बदले भी मंजूर नही तुझसे बेवफाई है. सबसे अच्छी है मेरी Sushi, ये बात मैंने सबको डंके की चोट पे बताई है, मेरी जिंदगी में न जाने कब से था पतझड़, तुम्हारे आने से मानो बहारे फिर से लौट आई...